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दुनिया की पहली जाति गड़रिया व गड़रिया इतिहास

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  क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे पहली जाति गड़रिया है | जो पाषाण काल के आदिमानव को जैसे - जैसे पशु और खेती का ज्ञान हुआ तों वह गड़रिया कहलाए | आज इस समुदाय को उत्तरी भारत क्षेत्र में पाल , बघेल ,धनगर , भेड़िहार , गड़रिया तथा दक्षिण भारत में कुरूबा , कुरुमा , गौंडर कुरूबन आदि नामों से जाना जाता है।  गडरिया समुदाय का इतिहास बहुत पुराना व प्राचीन हैं।  गड़रिया संस्कृति एक अलग ही संस्कृति है । शिवपुराण में गड़रिया का वर्णन 3 बार दर्शाया गया है।  रामायण , बाइबिल , कुरान , पंथ , में भी गड़रिया समुदाय का वर्णन है ।  अन्य समुदाय गड़रिया समुदाय से ही है। भारत के सभी समुदाय गड़रिया समुदाय से ही निकालकर आए हैं ।  गड़रियों का इतिहास पाल राजवंश होलकर राजवंश संगम राजवंश पल्लव राजवंश मौर्य राजवंश राजमाता अहिल्याबाई होलकर 

गड़रिया सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की गाथा

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 भारत के महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य  थे। इन्होंने मौर्य राजवंश / मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त पूरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफल रहे। चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण की तिथि साधारणतया ३२१ ई.पू. निर्धारित की जाती है। उन्होंने लगभग 24 वर्ष तक शासन किया और इस प्रकार उनके शासन का अन्त प्रायः २८५ ई.पू. में हुआ। भारतीय तिथिक्रम के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य का शासन ईपू १५३४  से आरम्भ होता है। वर्तमान में इनके वंशज गड़रिया है | डां. असुदोश के लेखन में मिलता है कि कोई मौर्य टाइटल लगाने से मौर्य नहीं हो जाता चन्द्रगुप्त मौर्य एक चरवाह गड़रिया थे |

गड़रिया सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास

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 अखंड भारत के निर्माता चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म गड़रिया समुदाय में हुआ था | उनके पिता राजा चंद्रवर्द्धन धनगर  पिप्पलिवन नगर के प्रमुख थे। जब वह गर्भ में ही था तब उसके पिता की मृत्यु युद्धभूमि में हो गयी थी। चन्द्रगुप्त मौर्य का पाटलिपुत्र में जन्म हुआ था , पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां धर्मा शत्रुओं से जान बचाने के लिए जंगल में मोर पालक मूरा नामक जाति में शरण ली | जिसके बाद मूरा नामक जाति उन्हें मौर्य कहने लगे |

गड़रिया समुदाय दुनिया का पहला समुदाय है |

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 दुनिया की सबसे पहली जाति गड़रिया है जिसे अन्य जातियां व धर्म निकलकर आए हैं | दुनिया की पहली जाति का दर्जा गड़रिया समुदाय को मिला क्योंकि नवपाषाण के आदिमानवों को सबसे पहले पशुपालक का ज्ञान हुआ जिसे वे एक पशुपालक गड़रिया समुदाय में बट गये |

स्वतंत्रता सेनानी महिला मामकौर गड़रिया पाल

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मामकौर गड़रिया जब भी भारत की आजादी में स्वतंत्रता सेनानी महिलाओं का नाम आता है तो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जन्मीं व मुजफ्फरनगर की सबसे लीडर महिला स्वतंत्रता सेनानी में मामकौर पाल का नाम सबसे ऊपर आता है | 1857 ई. की क्रांति में मामकौर पाल या मामकौर गड़रिया भी आजादी की जंग में सबसे आगे रहीं। उनके जत्थे में 250 महिलाएं थी, जो पुरुष वेश में रहती थी। मुजफ्फरनगर शहर में हमले के बाद अंग्रेजों ने मामकौर को पकड़कर फांसी पर लटका दिया था। मामकौर भारत की ऐसी पहेली भारतीय महिला थी जिन्हें फांसी सजा मिली |

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